बरेली कॉलेज के NCC छात्रों ने प्रांगण में सफाई कर शहर को पाठ पढ़ाया | नवंबर के चौथे इतवार को हर साल देश भर में NCC दिवस के रूप इ मनाया जाता है | बरेली कॉलेज के छात्र छात्राये भी NCC ट्रेनिंग करते हुए हर साल इस उत्सव को मानते हैं |
एनसीसी भारतीय सेना का एक अभिन्न अंग है। यह भारतीय सेना का एक सहायक बल है। एनसीसी का पूर्ण रूप राष्ट्रीय कैडेट कॉर्प्स है। एनसीसी की टैगलाइन है एकता और अनुशासन।यानी कि एकता दिखाते हुए अनुशासन बरतना। एनसीसी का गठन 16 अप्रैल 1948 में किया गया था। यह यूटिसी और यूओटीसी को मिलाकर बनाई गई थी।
एनसीसी दिवस अथवा एनसीसी डे नवम्बर के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इस दिन एनसीसी के मुख्यालय और विभागों में अलग अलग तरह से उत्सव मनाए जाते हैं। क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है। एनसीसी दिवस के तहत स्कूलों और विद्यालयों में परेडों का आयोजन किया जाता है।
एनसीसी दिवस के अवसर पर अलग अलग स्तर के एनसीसी अधिकारी एनसीसी के विभिन्न कार्यालयों में युवाओं की प्रेरित करने के लिए जोशीले भाषण देते हैं। यह सब इतना उत्साहपूर्ण होता है कि कैडेट इसे अगले कई सालों तक याद रखते हैं।
पहला एनसीसी दिवस 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू के निर्देशों के तहत मनाया गया था। उन्होने एनसीसी दिवस मनाने का प्रावधान शुरू किया था।
नवम्बर के चौथे रविवार को एनसीसी दिवस के रूप में तय किया गया था। इस दिन एनसीसी के मुख्यालय दिल्ली में जोर शोर से उत्सव किया गया था जहां पर एनसीसी के कैडेट्स का शक्ति प्रदर्शन किया गया था।
यह तब से हमेशा ही यह दर्शनीय होता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू का एनसीसी के प्रति एक विशेष आकर्षण था। नेहरू एनसीसी के लिए काफी ज्यादा प्रभावशाली रवैया अपनाते थे। यूटिसी और यूओटिसी को जोड़कर एनसीसी बनाने का फैसला भी पंडित नेहरू का ही था।
एनसीसी का महत्व भारतीय सैन्य में काफी ज्यादा है। युद्ध स्तर पर तैयार किए गए सैनिक भारतीय सेना का अभिन्न अंग बनने में काफी ज्यादा सहायक होते हैं। एनसीसी का मुख्य लक्ष्य सेना को सहायता प्रदान करना है। इसमें एनसीसी एक हद तक सफल भी हुई है। एनसीसी की टैगलाइन के लिए 11 अगस्त 1978 से चर्चा शुरू की गई थी।
एनसीसी को विभिन्न टैगलाइन जैसे “कर्तव्य, एकता और अनुशासन“, “कर्तव्य और एकता”, “एकता और अनुशासन”, जैसे टैगलाइन में से एक टैगलाइन का चुनाव करना था। बाद में काफी चर्चा के बाद “एकता और अनुशासन” का चुनाव किया गया। एनसीसी का लक्ष्य युवाओं में अनुशासन, चरित्र, भाईचारा जैसे गुण को बढ़ाना था।
एनसीसी यानी कि नेशनल कैडेट कॉर्प्स। एनसीसी भारत के युवा सैन्य संगठन में से एक है। एनसीसी का गठन युवाओं में सेना के प्रति जागरूकता लाने और उन्हे सैन्य स्तर पर तैयार करने के लिए किया गया था।
एनसीसी का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। एनसीसी का संबंध भारत की तीनों सेनाओं, जल सेना, थल सेना और वायु सेना से है। एनसीसी में शामिल युवा लड़के और लड़कियों को कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है जिससे कि वे आने वाले समय में सेना में शामिल होकर अपवाद न बनें।
उनके शरीर को ट्रेनिंग के दौरान तैयार किया जाता है। एनसीसी भारत के लगभग हर स्कूल और विश्वविद्यालय में मौजूद है। एनसीसी का मुख्य लक्ष्य युवाओं की देशभक्ति की भावना को धारा देना था। एनसीसी का गठन 16 अप्रैल 1948 को किया गया था। एनसीसी का मुख्य कथन है “एकता और अनुशासन”।
यह एनसीसी के मूल्यों को दर्शाता है। एनसीसी में शामिल होने वाले युवाओं को सर्टिफिकेट प्रदान किए जाते हैं जिससे कि वह अपनी गुणवत्ता बता सकें हालांकि वे सेना में शामिल होना चाहते हैं या नहीं ये उनका अपना फैसला होता है। एनसीसी में शामिल होकर वे सेना में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं होते।
एनसीसी का इतिहास
एनसीसी का गठन भारत की आजादी के एक वर्ष के पश्चात 16 अप्रैल को किया गया था। इसका गठन भारत में. मौजूद भारतीय रक्षण एक्ट 1917 के अंतर्गत किया गया था। एनसीसी का गठन उस वक़्त सेना में सैनिकों की भारी कमी के कारण किया गया था। सन 1920 में जब भारतीय सीमा एक्ट पास हुआ तब भारत में विश्विद्यालय के छात्रों को सेना की तरफ आकर्षित करने की मुहिम शुरू की गई।
इस मुहिम के तहत यूनिवर्सिटी कोप्स बनाए गए। बाद में यूनिवर्सिटी कोप्स को और भी ज्यादा आकर्षित करने के लिए, यूटिसी यानी कि यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग कोप्स का गठन किया गया। यूटिसी में शामिल छात्र बिल्कुल आम सैनिकों की तरह ड्रेस पहनकर परेड करते थे जिस कारण यह काफी ज्यादा आकर्षक नजर आता था।
एनसीसी के गठन के पहले देश में यूओटीसी हुआ करता था। इसे यूटिसी के ऊपरी स्तर का क्षेत्र माना जाता था। यानी कि जो भी छात्र यूटिसी पार करता उसे यूओटीसी में शामिल किया जाता और यूओटीसी से फिर सीधा सेना में भर्ती की जाती।
शौर्य सूचक एनसीसी
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत ने ब्रिटिश को विश्व युद्ध में सहायता देने के लिए हामी भर दी थी और अपने सैन्य बलों को ब्रिटेन के हवाले कर दिया था। जिन सैन्य बलों को द्वितीय विश्व युद्ध में भेजा गया था उसमें यूओटीसी भी शामिल थे।
यूओटीसी ने उस दौरान काफी निराश किया। यह पाया गया कि यह बल अब तक युद्ध स्तर के लिए नहीं बना है। यानी कि इस बल में अभी और ढेरों कमियां हैं जिन पर कार्य करना होगा।
आजादी के पश्चात यूओटिसी और यूटिसी को मिलाकर एनसीसी का गठन किया गया। एनसीसी का मुख्य लक्ष्य सेना में जाने लायक युद्ध स्तर के सैनिक तैयार करना था। साल 1948 में एनसीसी में छात्राओं के लिए भी जगह दी गई ताकि यह वे भी समान अवसर प्राप्त कर सकें, और देश को अपनी सेवाएं दे सकें।
उसके बाद उस वक़्त के मौजूदा प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एनसीसी के विकास में काफी ज्यादा योगदान दिया। उन्होने एनसीसी के सिलेबस को बदला और उसे काफी आसान बना दिया।
एनसीसी के सिलेबस में आत्मरक्षा और युद्ध स्तर की रणनीति शामिल थी। एमसीसी के अंतर्गत कई तरह के अस्त्र चलाने का प्रशिक्षण भी सैनिकों को दिया जाता है। साल 1950 में एनसीसी में वायु सेना को भी जोड़ दिया गया।
उसके बाद एनसीसी और भी ज्यादा प्रभावशाली हो गई। 1962 में हुए चाइना के साथ युद्ध के दौरान एनसीसी ने काफी मदद की लेकिन एनसीसी की असली महत्ता भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान नजर आई।
एनसीसी ने भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान मुख्य धारा की सेना का कंधे से कंधे मिलाकर साथ दिया। भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान एनसीसी ने दिए हुए कार्य यानी कि अस्त्रों शस्त्रों को यहां से वहां पहुंचाना, सेना के सैनिकों को सहायता प्रदान करना बखूबी किए।
1965 और 1971 के युद्धों के बाद एनसीसी के सिलेबस को बदल दिया गया। एनसीसी को मुख्य धारा में लाने का भरसक प्रयास किया गया और यह सफल भी हुआ। एनसीसी में मौजूद वक़्त में सेना के स्तर का ही प्रशिक्षण दिया जाता है, यानी कि युद्ध की पूर्ण रूप से तैयारी।
निष्कर्ष
एनसीसी कैडेट्स ने भारतीय सेना की काफी सहायता की है। एनसीसी दिवस उनके शौर्य को बढ़ाने का और दर्शाने के कार्य करता है। एनसीसी दिवस के अवसर पर एनसीसी के जवानों के प्रति आदर और सम्मान भावना दर्शानी चाहिए।
एनसीसी भारतीय सेना का एक अभिन्न अंग है। यह भारतीय सेना का एक सहायक बल है। एनसीसी का पूर्ण रूप राष्ट्रीय कैडेट कॉर्प्स है। एनसीसी की टैगलाइन है एकता और अनुशासन।यानी कि एकता दिखाते हुए अनुशासन बरतना। एनसीसी का गठन 16 अप्रैल 1948 में किया गया था। यह यूटिसी और यूओटीसी को मिलाकर बनाई गई थी।
एनसीसी दिवस अथवा एनसीसी डे नवम्बर के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इस दिन एनसीसी के मुख्यालय और विभागों में अलग अलग तरह से उत्सव मनाए जाते हैं। क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है। एनसीसी दिवस के तहत स्कूलों और विद्यालयों में परेडों का आयोजन किया जाता है।
एनसीसी दिवस के अवसर पर अलग अलग स्तर के एनसीसी अधिकारी एनसीसी के विभिन्न कार्यालयों में युवाओं की प्रेरित करने के लिए जोशीले भाषण देते हैं। यह सब इतना उत्साहपूर्ण होता है कि कैडेट इसे अगले कई सालों तक याद रखते हैं।
पहला एनसीसी दिवस 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू के निर्देशों के तहत मनाया गया था। उन्होने एनसीसी दिवस मनाने का प्रावधान शुरू किया था।
नवम्बर के चौथे रविवार को एनसीसी दिवस के रूप में तय किया गया था। इस दिन एनसीसी के मुख्यालय दिल्ली में जोर शोर से उत्सव किया गया था जहां पर एनसीसी के कैडेट्स का शक्ति प्रदर्शन किया गया था।
यह तब से हमेशा ही यह दर्शनीय होता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू का एनसीसी के प्रति एक विशेष आकर्षण था। नेहरू एनसीसी के लिए काफी ज्यादा प्रभावशाली रवैया अपनाते थे। यूटिसी और यूओटिसी को जोड़कर एनसीसी बनाने का फैसला भी पंडित नेहरू का ही था।
एनसीसी का महत्व भारतीय सैन्य में काफी ज्यादा है। युद्ध स्तर पर तैयार किए गए सैनिक भारतीय सेना का अभिन्न अंग बनने में काफी ज्यादा सहायक होते हैं। एनसीसी का मुख्य लक्ष्य सेना को सहायता प्रदान करना है। इसमें एनसीसी एक हद तक सफल भी हुई है। एनसीसी की टैगलाइन के लिए 11 अगस्त 1978 से चर्चा शुरू की गई थी।
एनसीसी को विभिन्न टैगलाइन जैसे “कर्तव्य, एकता और अनुशासन“, “कर्तव्य और एकता”, “एकता और अनुशासन”, जैसे टैगलाइन में से एक टैगलाइन का चुनाव करना था। बाद में काफी चर्चा के बाद “एकता और अनुशासन” का चुनाव किया गया। एनसीसी का लक्ष्य युवाओं में अनुशासन, चरित्र, भाईचारा जैसे गुण को बढ़ाना था।
एनसीसी यानी कि नेशनल कैडेट कॉर्प्स। एनसीसी भारत के युवा सैन्य संगठन में से एक है। एनसीसी का गठन युवाओं में सेना के प्रति जागरूकता लाने और उन्हे सैन्य स्तर पर तैयार करने के लिए किया गया था।
एनसीसी का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। एनसीसी का संबंध भारत की तीनों सेनाओं, जल सेना, थल सेना और वायु सेना से है। एनसीसी में शामिल युवा लड़के और लड़कियों को कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है जिससे कि वे आने वाले समय में सेना में शामिल होकर अपवाद न बनें।
उनके शरीर को ट्रेनिंग के दौरान तैयार किया जाता है। एनसीसी भारत के लगभग हर स्कूल और विश्वविद्यालय में मौजूद है। एनसीसी का मुख्य लक्ष्य युवाओं की देशभक्ति की भावना को धारा देना था। एनसीसी का गठन 16 अप्रैल 1948 को किया गया था। एनसीसी का मुख्य कथन है “एकता और अनुशासन”।
यह एनसीसी के मूल्यों को दर्शाता है। एनसीसी में शामिल होने वाले युवाओं को सर्टिफिकेट प्रदान किए जाते हैं जिससे कि वह अपनी गुणवत्ता बता सकें हालांकि वे सेना में शामिल होना चाहते हैं या नहीं ये उनका अपना फैसला होता है। एनसीसी में शामिल होकर वे सेना में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं होते।
एनसीसी का इतिहास
एनसीसी का गठन भारत की आजादी के एक वर्ष के पश्चात 16 अप्रैल को किया गया था। इसका गठन भारत में. मौजूद भारतीय रक्षण एक्ट 1917 के अंतर्गत किया गया था। एनसीसी का गठन उस वक़्त सेना में सैनिकों की भारी कमी के कारण किया गया था। सन 1920 में जब भारतीय सीमा एक्ट पास हुआ तब भारत में विश्विद्यालय के छात्रों को सेना की तरफ आकर्षित करने की मुहिम शुरू की गई।
इस मुहिम के तहत यूनिवर्सिटी कोप्स बनाए गए। बाद में यूनिवर्सिटी कोप्स को और भी ज्यादा आकर्षित करने के लिए, यूटिसी यानी कि यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग कोप्स का गठन किया गया। यूटिसी में शामिल छात्र बिल्कुल आम सैनिकों की तरह ड्रेस पहनकर परेड करते थे जिस कारण यह काफी ज्यादा आकर्षक नजर आता था।
एनसीसी के गठन के पहले देश में यूओटीसी हुआ करता था। इसे यूटिसी के ऊपरी स्तर का क्षेत्र माना जाता था। यानी कि जो भी छात्र यूटिसी पार करता उसे यूओटीसी में शामिल किया जाता और यूओटीसी से फिर सीधा सेना में भर्ती की जाती।
शौर्य सूचक एनसीसी
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत ने ब्रिटिश को विश्व युद्ध में सहायता देने के लिए हामी भर दी थी और अपने सैन्य बलों को ब्रिटेन के हवाले कर दिया था। जिन सैन्य बलों को द्वितीय विश्व युद्ध में भेजा गया था उसमें यूओटीसी भी शामिल थे।
यूओटीसी ने उस दौरान काफी निराश किया। यह पाया गया कि यह बल अब तक युद्ध स्तर के लिए नहीं बना है। यानी कि इस बल में अभी और ढेरों कमियां हैं जिन पर कार्य करना होगा।
आजादी के पश्चात यूओटिसी और यूटिसी को मिलाकर एनसीसी का गठन किया गया। एनसीसी का मुख्य लक्ष्य सेना में जाने लायक युद्ध स्तर के सैनिक तैयार करना था। साल 1948 में एनसीसी में छात्राओं के लिए भी जगह दी गई ताकि यह वे भी समान अवसर प्राप्त कर सकें, और देश को अपनी सेवाएं दे सकें।
उसके बाद उस वक़्त के मौजूदा प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एनसीसी के विकास में काफी ज्यादा योगदान दिया। उन्होने एनसीसी के सिलेबस को बदला और उसे काफी आसान बना दिया।
एनसीसी के सिलेबस में आत्मरक्षा और युद्ध स्तर की रणनीति शामिल थी। एमसीसी के अंतर्गत कई तरह के अस्त्र चलाने का प्रशिक्षण भी सैनिकों को दिया जाता है। साल 1950 में एनसीसी में वायु सेना को भी जोड़ दिया गया।
उसके बाद एनसीसी और भी ज्यादा प्रभावशाली हो गई। 1962 में हुए चाइना के साथ युद्ध के दौरान एनसीसी ने काफी मदद की लेकिन एनसीसी की असली महत्ता भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान नजर आई।
एनसीसी ने भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान मुख्य धारा की सेना का कंधे से कंधे मिलाकर साथ दिया। भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान एनसीसी ने दिए हुए कार्य यानी कि अस्त्रों शस्त्रों को यहां से वहां पहुंचाना, सेना के सैनिकों को सहायता प्रदान करना बखूबी किए।
1965 और 1971 के युद्धों के बाद एनसीसी के सिलेबस को बदल दिया गया। एनसीसी को मुख्य धारा में लाने का भरसक प्रयास किया गया और यह सफल भी हुआ। एनसीसी में मौजूद वक़्त में सेना के स्तर का ही प्रशिक्षण दिया जाता है, यानी कि युद्ध की पूर्ण रूप से तैयारी।
निष्कर्ष
एनसीसी कैडेट्स ने भारतीय सेना की काफी सहायता की है। एनसीसी दिवस उनके शौर्य को बढ़ाने का और दर्शाने के कार्य करता है। एनसीसी दिवस के अवसर पर एनसीसी के जवानों के प्रति आदर और सम्मान भावना दर्शानी चाहिए।
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