बरेली में हुए उर्स-ऐ-रज़वी में देश-विदेश से आये लगभग दो करोड़ ज़ायरीन हज़रत। जुलूस में आने वाले खुसूसी मेहमानों पर फूलों की बारिश की जाती रही। उलमा की तकरीरें सोमवार सुबह से ही गूंजने लगीं। सामने अकीदतमंदों का हुजूम बैठा था। महफिल से बीच-बीच में रजा के नारे गूंजते रहे। कुल शरीफ शुरू होते ही पूरे मैदान में सन्नाटा पसर गया। इस्लामिया मैदान से लेकर नावल्टी चौराहा तक जायरीन ने दुआ के लिए हाथ उठाए। पहले मौलाना अर्सलान रजा और फिर मारहरा के सज्जादानशीन सय्यद अमीन मियां ने दुआ की। बाद में मौलाना तौसीफ मियां ने सबके लिए दुआ की। मंच पर दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां, सय्यद नजीब मियां समेत अन्य बुजुर्ग व उलमा-ए-कराम मौजूद थे। रूहानी इश्क का यह खुशनुमा नजारा था आला हजरत के सौ साला उर्स-ए-रजवी में कुल शरीफ का। इसी के साथ उर्स का समापन हो गया।
बरेली में हुए उर्स-ऐ-रज़वी में देश-विदेश से आये लगभग दो करोड़ ज़ायरीन हज़रत। जुलूस में आने वाले खुसूसी मेहमानों पर फूलों की बारिश की जाती रही। उलमा की तकरीरें सोमवार सुबह से ही गूंजने लगीं। सामने अकीदतमंदों का हुजूम बैठा था। महफिल से बीच-बीच में रजा के नारे गूंजते रहे। कुल शरीफ शुरू होते ही पूरे मैदान में सन्नाटा पसर गया। इस्लामिया मैदान से लेकर नावल्टी चौराहा तक जायरीन ने दुआ के लिए हाथ उठाए। पहले मौलाना अर्सलान रजा और फिर मारहरा के सज्जादानशीन सय्यद अमीन मियां ने दुआ की। बाद में मौलाना तौसीफ मियां ने सबके लिए दुआ की। मंच पर दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां, सय्यद नजीब मियां समेत अन्य बुजुर्ग व उलमा-ए-कराम मौजूद थे। रूहानी इश्क का यह खुशनुमा नजारा था आला हजरत के सौ साला उर्स-ए-रजवी में कुल शरीफ का। इसी के साथ उर्स का समापन हो गया।
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