नाथ नगरी एयर टर्मिनल, बरेली से उड़ानें कब शुरू हाेंगी ?

रक्षा संपदा विभाग ने निजी विमानन कंपनियों के वायुसेना के रनवे का इस्तेमाल करने और वहां एप्रॉन का निर्माण करने की एवज में किराया वसूल किए जाने की सिफारिश करते हुए इसका मसौदा तैयार कर अपने महानिदेशक के साथ जिला प्रशासन को भी भेजा है। इस मसौदे में रक्षा संपदा विभाग ने किराये और रखरखाव के लिए राज्य सरकार से दो लाख रुपये का वार्षिक शुल्क लेने के साथ एग्रीमेंट की अवधि भी कम से कम पांच साल रखने का सुझाव दिया है।
 स्थनीय मंत्रियों ने कुछ समय पहले दशहरा और दिवाली तक बरेली से हवाई सेवाएं शुरू कराने का दावा कर इसका क्रेडिट लेने की कोशिश की थी। यही नहीं पूर्व कमिश्नर पीवी जगनमोहन ने भी इस दौड़ में शामिल होते हुए त्रिशूल परिसर में टैक्सी वे और एप्रॉन की अनुमति के लिए सीधे प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का अविश्वसनीय दावा कर डाला था, लेकिन असल में हवाई सेवा शुरू करने का यह प्रोजेक्ट अभी तक कागजों पर ही दौड़ता दिख रहा है। दिवाली नजदीक आ चुकी है लेकिन जो हालात हैं, उनसे साफ जाहिर है कि दिवाली पर तो एयर टर्मिनल शुरू होने की उम्मीद बेमानी है ही, इसके बाद भी बरेली से उड़ानें कब शुरू हाेंगी, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि गेंद अब रक्षा मंत्रालय के पाले में है।

बता दें कि पिछले दिनों जिला प्रशासन, एयरपोर्ट अथॉरिटी, पुलिस विभाग, लोक निर्माण, बिजली और सिंचाई आदि विभागों की संयुक्त बैठक में एयरफोर्स अफसरों ने त्रिशूल परिसर में टैक्सी वे और एप्रॉन सुविधा देने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी। बैठक का निर्णय और आग्रह पत्र वायु सेना मुख्यालय के माध्यम से रक्षा मंत्रालय को भेजा गया। वहां से अभी तक एनओसी नहीं मिल सकी है। यही वजह है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी के अफसर वायु सेना स्टेशन की बाउंड्रीवाल भी नहीं तोड़ पाए हैं। इस बाउंड्रीवाल को तोड़ने के बाद ही परिसर में काम हो पाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने बरेली के रक्षा संपदा अधिकारी से वायुसेना स्टेशन में सिविल एयर एंक्लेव में शुरू होने वाली हवाई सेवा संबंधी रिपोर्ट मांगी थी। इसमें कहा गया था कि रनवे से सिविल उड़ानें शुरू कराने में सुरक्षा व्यवस्था कितनी आड़े आएगी और भूमि इस्तेमाल का राज्य सरकार से कितना किराया और कितनी अवधि तक एग्रीमेंट करना उचित है। इसके साथ ही रनवे के रखरखाव और मरम्मत संबंधी खर्चे भी मांगे गए हैं। रक्षा संपदा अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह ने विस्तृत रिपोर्ट महानिदेशक रक्षा संपदा विभाग को भेजी है जिसमें त्रिशूल परिसर में इस्तेमाल होने वाली जमीन का किराया दो लाख रुपये प्रस्तावित किया है। एग्रीमेंट की अवधि कम से कम पांच साल रखने को कहा गया है। माना जा रहा है कि अब रक्षा संपदा अधिकारी की रिपोर्ट पर अमल के बाद ही रक्षा मंत्रालय से एनओसी मिलना संभव होगा।

पुराना सर्किल रेट भी खारिज
रक्षा संपदा विभाग ने जिला प्रशासन की ओर से पहले सौंपे जा चुके किराया प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है क्योंकि प्रशासन की ओर से सौंपे गए किराए की दर पुराने सर्किल रेट के आधार पर तैयार की गई थी। इस पर आपत्ति जताई गई तो प्रशासन ने आनन-फानन में चार दिन पहले शुक्रवार को नए सर्किल रेट उपलब्ध कराए जिसके आधार पर रक्षा संपदा विभाग ने करीब दो लाख रुपया का वार्षिक किराया मांगा है।

पिछले दिनों रक्षा संपदा विभाग के डीजी को किराया और एग्रीमेंट संबंधी प्रस्ताव भेज दिए हैं। जिला प्रशासन को इसकी प्रतिलिपि भेजी जा रही है। एनओसी मिलने के बाद ही त्रिशूल परिसर में सिविल एयर एन्क्लेव के लिए मांगी गई सुविधाएं मिल पाएंगी। - प्रमोद कुमार सिंह, रक्षा संपदा अधिकारी

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