विजयादशमी के मेले में शाम ढलते ही लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। जैसे-जैसे दिन ढलता गया मेले की खुमारी बढ़ती गई।
शुक्रवार की रात साढ़े आठ बजे राम ने रावण की नाभि में भरे अमृत कलश को बाण से सुखाकर रावण का वध किया। विजयादशमी के इस अवसर पर शहर के कई स्थानों पर रावण दहन किया गया। इस दौरान आतिशबाजी का सिलसिला जारी रहा। बुराई के प्रतीक के रूप में बना विशालकाय रावण अपने भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाद के साथ जल उठा और लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया।
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