घाट पर गजानन विसर्जन अनुष्ठान सुबह 11 बजे से शुरू हुआ, जो कि शाम 5.30 बजे तक जारी रहा।
बीते कुछ वर्षों की तरह ही प्रशाशन ने इस वर्ष भी प्रतिमा विसर्जन के लिए गढ्डे बनवाकर उसमे गंगा का जल भरवाया और सभी छोटी बड़ी प्रतिमाओं का विसर्जन उन्ही गड्ढों में करवाया।
गुरुवार को पूरे दिन में 85 से अधिक छोटी बड़ी गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ।
घाट पर गुरुवार को जिला और पुलिस प्रशासन के अफसरों को रुख थोड़ा सख्त रहा।
उन्होंने गणेश प्रतिमा को खोदे गए गढ्डे से आगे गणेश प्रतिमा लेकर भक्तों को नहीं जाने दिया।
सभी छोटी बड़ी प्रतिमाओं का विसर्जन गढ्डे में ही कराया। इसके साथ ही गढ्डे के बंधों की सुरक्षा को चारों तरफ गोताखोर खड़े रहे।
पुलिस प्रशसन द्वारा रामगंगा तट पर बैरिकेडिंग भी लगवाए लेकिन ज़्यादा भीड़ के चलते वो जल्द ही टूट गए।
प्रशासन के इतने इंतजाम के बावजूद भी विसर्जन के बाद घाट किनारे पुराने गढ्डे के आसपास भी छोटी छोटी गणेश प्रतिमाएं गीली मिट्टी में फंसी नजर आईं।
इसके साथ ही गणपति विसर्जन को आए भक्त घाट किनारे ही पूजा में प्रयुक्त हुई सामग्री ऐसे ही जगह जगह छोड़ गए हैं, जिसमें फूल से लेकर नारियल कलश और कुछ मूर्तियां तट पर और यहां वहां मिटटी में दबी ंमिलीं और पूजन की सामग्री पुरे तट पर फैली मिली, जोकि गंदगी को बढ़ावा देते दिखे
उन्होंने गणेश प्रतिमा को खोदे गए गढ्डे से आगे गणेश प्रतिमा लेकर भक्तों को नहीं जाने दिया।
सभी छोटी बड़ी प्रतिमाओं का विसर्जन गढ्डे में ही कराया। इसके साथ ही गढ्डे के बंधों की सुरक्षा को चारों तरफ गोताखोर खड़े रहे।
पुलिस प्रशसन द्वारा रामगंगा तट पर बैरिकेडिंग भी लगवाए लेकिन ज़्यादा भीड़ के चलते वो जल्द ही टूट गए।
प्रशासन के इतने इंतजाम के बावजूद भी विसर्जन के बाद घाट किनारे पुराने गढ्डे के आसपास भी छोटी छोटी गणेश प्रतिमाएं गीली मिट्टी में फंसी नजर आईं।
इसके साथ ही गणपति विसर्जन को आए भक्त घाट किनारे ही पूजा में प्रयुक्त हुई सामग्री ऐसे ही जगह जगह छोड़ गए हैं, जिसमें फूल से लेकर नारियल कलश और कुछ मूर्तियां तट पर और यहां वहां मिटटी में दबी ंमिलीं और पूजन की सामग्री पुरे तट पर फैली मिली, जोकि गंदगी को बढ़ावा देते दिखे
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