पाम आयल भारत में स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है Palm Oil and Its Effects


पाम आयल है हर जगह 

क्या आपने भी अपने आस पास रिश्तेदारी और जानने वालों में किसी युवा या तंदरुस्त व्यक्ति को हार्ट अटैक की चपेट में आने की खबर सुनी है ? और आप यह सोच कर शांत हो गए की आज कल के समय में यह कितना अधिक हो रहा है जबकि पहले के लोगों को बीमारियां ही नहीं लगतीं थीं ? तो समय आ गया है की आप भी पाम आयल के बारे में जान लें। हम यह नहीं कह रहे की पाम आयल ही अकेले हार्ट अटैक का कारन बना हुआ है पर यह हमारे बच्चों युवाओं और बड़ो में काफी समस्या और बीमारी का कारन तो है ही। 

क्या है पाम आयल ? 

पाम ऑयल या ताड़ का तेल एक प्रकार का खाद्य वनस्पति तेल है जो पाम वृक्ष के फल से निकाला जाता है। यह एक बहुत प्रयुक्त खाद्य तेल है और इसे विभिन्न खाद्य एवं गैर-खाद्य उत्पादों में उपयोग किया जाता है।

पाम ऑयल का उपयोग भारत में बिकने वाले बिस्किट, नमकीन, आइस क्रीम, नूडल, पापड़, बर्गर, फ्राई सब्जी, फ्राई मीट, पिज़्ज़ा, चॉकलेट, शैम्पू, साबुन, क्रीम जैसे सभी खाने पीने वाली चीज़ों में हो रहा है। पामोलीन ऑयल के अंदर 50 प्रतिशत सैचुरेटेड फैट होता है। 

पाम तेल कमरे के तापमान पर थोड़ा ठोस होता है इसलिए फैलने योग्य बनाए रख सकता है। यह ऑक्सीकरण के प्रति प्रतिरोधी है इसलिए उत्पादों को लंबी शेल्फ-लाइफ दे सकता है। यह उच्च तापमान पर स्थिर होता है इसलिए तले हुए उत्पादों को कुरकुरा और कुरकुरा बनावट देने में मदद करता है और इसमें किसी प्रकार की गंध भी नहीं है इसलिए खाद्य उत्पादों के रूप या गंध में कोई बदलाव नहीं करता है। साथ ही दिखने में बिकुल पारदर्शी है। वैश्विक स्तर पर, पाम तेल दुनिया की वनस्पति तेल की मांग का 40% आपूर्ति करता है, जो सभी वनस्पति तेलों का उत्पादन करने के लिए उपयोग की जाने वाली 6% से कम भूमि पर होता है। इसका दाम कम है और लगत भी तो उगने वाले किसानों और उपयोग में लाने वाली कंपनियों दोनों को इससे फायदा होता है। 

पाम आयल के नुक्सान क्या हैं ? 

बहुत अधिक ताड़ के तेल का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है। सैचुरेटेड फैट आपके एलडीएल यानि खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकते हैं, जिससे आपके दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ताड़ के तेल के एक बड़े चम्मच में लगभग 7 ग्राम सैचुरेटेड फैट होता है, जिसका मतलब है कि प्रतिदिन एक या दो बड़े चम्मच से अधिक सेवन बॉर्डर लाइन से अधिक हो सकता है। 

पाम तेल में हैक्सेन का इस्तेमाल 

रिफाइंड तेल की बात करें तो इसे प्रोसेस करने के लिए कई तरह के नुकसानदायक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमे हैक्सीन नाम का केमिकल इस्तेमाल किया जाता है। अगर हैक्सीन का इस्तेमाल आप करते हैं तो इशसे आपको मिचली आना, सिर दर्द होना, चक्कर आने जैसी दिक्कत हो सकती है। लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने से आपको मोटापा, आंख से दिखाई देने मे समस्या, सिर दर्द की समस्या हो सकती है। हैक्सेन का इस्तेमाल रिफाइड तेल को प्रोसेस करने में इसलिए इस्तेमाल किया जाता है ताकि बीज से अधिक तेल निकाला जा सके। हालांकि प्रोसेस के दौरान हैक्सेन को निकालने की कोशिश की जाती है, लेकिन फिर भी इसका एक हिस्सा तेल में रह जाता है। एक लीटर रिफाइंड तेल में 0.8 एमएल तक हैक्सेन पाया जाता है। जिसे लगातार इस्तेमाल करने से आपका स्वास्थ्य काफी खराब हो सकता है।

लगातार कई सालों तक पाम आयल का सेवन करने से किसी भी उम्र के व्यक्ति को वो सारी समस्याएं हो सकती हैं जो एक दिल के मरीज़ में देखीं जाती हैं लेकिन सिलसिला यहीं नहीं रुकता दिल के साथ साथ यह आपके शरीर के बाकि अंगों पर भी बुरा असर डालता है। 

सिंगापुर में पाम तेल से लोगों की स्वास्थ्य इतना बिगड़ा कि सरकार को इसकी जगह सोयाबीन तेल का इस्तेमाल करने की लोगों को सलाह दी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का कहना है कि मलेशिया में पाम तेल के इस्तेमाल की कमी से 15 फीसदी दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या कम हुई।

यूरोपियन फूड सिक्योरिटी असोसिएश का कहना है कि जब इस तेल को गर्म करके इस्तेमाल किया जाता है तो पाम तेल से कैंसर हो सकता है। पाम तेल को गर्म करने से ग्लासिडाइल फैटी एसिड  का निर्माण होता है। इसका इस्तेमाल करने से लोगों के शरीर में ग्लाइसोडोल का निर्माण होता है। ग्लाइसोडोल का प्रयोग जब चूहों और बिल्लियों पर किया गया तो उनके भीतर ट्यूमर पाया गया।

भारत दुनिया में इस तेल की कुल खपत का करीब 20 प्रतिशत इस्तेमाल करता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में पाम ऑयल का यूज कितना अधिक है। भारत में तकरीबन 25 मिलियन टन पॉम तेल की खपत की जाती है। भारत मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम तेल का आयात करता है। पाम तेल का इस्तेमाल भारत के हर कोने में किया जाता है, इसकी बड़ी वजह है कि यह काफी सस्ता होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम तेल का आयातक देश है।

भले ही आपके घरों में सीधे तौर पर पाम ऑयल का इस्तेमाल नहीं होता , लेकिन बाजारों में जो भी वेजीटेबल ऑयल है, उनमें ये मिला होता है। जाने अनजाने में लोग रोजाना इस ऑयल को प्रयोग कर ही रहे हैं।  


कैसे पाएं पाम आयल से छुटकारा ?

सबसे पहले अपने घर में सरसो, मूंगफली, नारियल जैसे तेल का इस्तेमाल करें और रिफाइंड आयल इस्तेमाल करने से बचें। 

बहार का खाना कभी कभी ही खाएं क्योंकि आपको पता नहीं की वह किस तक में बनाया गया है। 

पैकेज फ़ूड लेने से पहले पीछे दिए इंग्रेडेन्ट्स की लिस्ट ज़रूर चेक करें। अगर वहां पाम आयल, पामोलीन,  पाल्मेट जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है तो समझ जाये की पाम आयल मिला है। आइस क्रीम पर अगर आइस क्रीम न लिखा हो और केवल डिजर्ट या अन्य कोई नाम दिया हो तो समझ जाएँ के यह पाम आयल से बानी है। दूध की आइस क्रीम पर ही आइस क्रीम लिखा होगा। 

जब भी बच्चो को नमकीन, बिस्किट, चिप्स अदि दिलाएं तो ध्यान रखें की उनमे पाम आयल तो नहीं ? घर पर ही स्नैक्स बनायें और बच्चो को उसकी आदत डालें। जब आप खुद ही पाम आयल का इस्तेमाल बंद कर देंगे तो कंपनियां भी इसका इस्तेमाल करना बंद कर देंगी। 


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